HANSRAJ COLLEGE

University of Delhi

NAAC Grade A++ with CGPA 3.71 NIRF Rank # 12 (Amongst Colleges)

Yagyashala

Yagyashala

VVRI Centre: Standing by the doctrine of Mahatma Hansraj and DAV philosophy, the college has an established Vishva Bandhu Centre of Indian Culture (Delhi Unit), that is affiliated to Vishveshvaranand Vedic Research Institute (VVRI), Hoshiarpur, Panjab. The VVRI center has pioneered the preparation of a Vedic Lexicon and brought out the alphabetical indices to the Padapathas of Rigveda, Yajurveda, Samveda and Atharvaveda. The VVRI center now works in alliance with the research department of D.A.V. College Management for the collection, preservation and publication of ancient texts.

  • The Hansraj unit of the center houses around five thousand books in Sanskrit/ Urdu/ English related to Vedas and Upanishads.
  • To inculcate Vedic culture, a monthly havan is organized in the VVRI center on the 1st Tuesday of every month what is attended by the chairman, the governing body, the principal, the teaching and the non-teaching staff and the students.
  • To inculcate a healthy lifestyle, a yoga instructor from Morarji Desai National Institute of Yoga, New Delhi conducts two batches (separately for men and women) of an hour long yoga session every day in the VVRI center for the teaching and non-teaching staff and the students.

भारतीय वैदिक परंपरा के मूल मंत्र "तमसो मा ज्योतिर्गमय" से गतिमान 'हंसराज कॉलेज' परिसर में विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, होशियारपुर, पंजाब से सम्बद्ध वीवीआरआई केंद्र है। यह केंद्र 'डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधकर्त्री समिति - शोध विभाग' के परस्पर सहयोग से कार्य करता है, जिसका प्रमुख उद्देश्य वैदिक साहित्यिक कोश का निर्माण, वैदिक संहिताओं/भाष्यों का प्रामाणिक रूप से प्रकाशन एवं संस्कृत साहित्य के अन्य क्षेत्रों में भी शोध एवं प्रकाशन करना है।

इस केंद्र में दशकों से मासिक यज्ञ का आयोजन होता आया है, जिसके कारण इसे 'यज्ञशाला' के नाम से भी जाना जाता है। इस हेतु कुछ वर्ष पूर्व परिसर में एक यज्ञशाला का निर्माण भी करवाया गया है। केंद्र में संस्कृत, हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी साहित्य के वेदों एवं उपनिषदों से संबंधित महत्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रंथों के संग्रह उपलब्ध है, जिनकी संख्या 5000 से भी अधिक है। इसमें होने वाले मासिक यज्ञ में कॉलेज के अध्यक्ष, प्राचार्या, प्राध्यापक, एवं कर्मचारियों के साथ-साथ विद्यार्थीगण तथा कॉलेज के पूर्व विद्यार्थी भी सम्मिलित होते हैं। यज्ञ के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना, विद्यार्थियों को भारतीय वैदिक परंपरा से अवगत कराना, उनमें सकारात्मकता का संचार करना आदि है।

हंसराज कॉलेज में स्थित यज्ञशाला को पाठशाला की संज्ञा भी दी जा सकती है। इसमें उन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र/छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है, जो संसाधनों के अभाव में समुचित शिक्षा एवं मार्गदर्शन से वंचित रह जाते हैं। हंसराज कॉलेज की एनएसएस टीम के इस सामाजिक प्रकल्प ‘पढ़ाकू’ का संचालन एक दशक से भी अधिक समय से हो रहा है, जिसमें हजारों बच्चों को कॉलेज के विद्यार्थियों ने नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की है।

हाल के वर्षों में इसकी संरचना में लगातार विस्तार किया गया है और अलग-अलग तरह की गतिविधियों के माध्यम से केंद्र की सक्रियता भी काफी बढ़ी है।

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